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भ्रामक विज्ञापन न हटने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी पतंजलि और लाइसेंसिंग विभाग को फटकार

 08 May 2024

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक  विज्ञापन मामले में पतंजलि को फिर फटकार लगायी है! कोर्ट ने पतंजलि के वकील बनवीर सिंह से पूछा  कि अभी तक भ्रामक विज्ञापन इंटरनेट, वेबसाइट और चैनलों पर क्यों उपलब्ध हैं? मंगलवार को कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामलों पर सुनवाई करते हुए विज्ञापन न हटाये जाने को लेकर अपनी गहरी नाराज़गी ज़ाहिर की। सुनवाई के दौरान मौज़ूद राज्य लाइसेंसिंग के अधिकारियों की ढ़ीली कार्रवाई पर कोर्ट ने अपनी चिंता जतायी, कोर्ट ने कहा कि हमारा धैर्य ख़त्म हो रहा है। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ कर रही है।


 


कोर्ट में क्या हुआ?


कोर्ट ने वक़ील बलबीर से पूछा कि विज्ञापन हटाये जाने को लेकर आप उन विशेष एजेंसियों को क्या लिख रहे हैं? इसपर बलबीर ने कहा कि बड़ी संख्या में पतंजलि की तरफ़ से विज्ञापनों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया था। उन्होंने कोर्ट को विश्वास दिलाया है कि पतंजलि विज्ञापन मामलों को लेकर बिलकुल सचेत है। कोर्ट की अगली सुनवाई तक विज्ञापनों को पूरी तरह से हटा लिया जायेगा।


पतंजलि ने कुछ विशेष मीडिया चैनलों के साथ संबंध रखा हुआ है, जहाँ कुछ ऐसे विज्ञापन चलाये जा रहे हैं जिसमें बयानों को जनता को दिये गये आश्वासनों के साथ चलाया जा रहा है। इसपर कोर्ट ने अपनी चिंता व्यक़्त की है। जस्टिस अमानुल्लाह ने राज्य लाइसेंसिंग के अधिकारियों में से एक के वक़ील से कहा कि जिन उत्पादों को प्रतिबंधित कर दिया गया है, उनका इस्तेमाल विज्ञापनों में नहीं किया जा सकता है। इसपर राज्य लाइसेंसिंग विभाग को कार्रवाई करनी होगी, विभाग इंतज़ार करते हुए नहीं बैठ सकता है। कोर्ट के प्रतिबंध का मतलब है कि उसका व्यापार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारीयों के ख़िलाफ़ हमारा धैर्य समाप्त हो रहा है।


जस्टिस कोहली ने तंज कस्ते हुए कहा कि कोर्ट का यह काम नहीं है कि वह लाइसेंसिंग विभाग को उसका काम बताये।



पतंजलि के 14 उत्पादों का लाइसेंस रद्द


उत्तराखंड राज्य सरकार के लाइसेंसिंग विभाग ने कोर्ट को पिछली सुनवाई में बताया था कि विभाग पतंजलि के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को रद्द कर चुका है। इसके अलावा बाबा रामदेव और पतंजलि प्रबंधक निदेशक बालकृष्ण के ख़िलाफ़ आपराधिक शिक़ायत दर्ज़ की गयी है। विभाग ने यह कार्रवाई तब की, जब कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में लाइसेंसिंग विभाग की तरफ़ से कोई कार्रवाई न करने पर विभाग की खिंचाई की थी।